Sunday, November 01, 2009

एक कविता है

एक कविता थी ...
जिसका नाम नहीं रखा..
एक कविता थी...
जो आज भी किसी किताब के ५७ नंबर पेज पे रखी है ...
एक कविता थी...
जिसको सबसे पहले पढने वाला कभी मिला ही नहीं..
एक कविता थी...
जो आज भी अधूरी है ..
एक कविता थी...
जिसमे कोई छंद अलंकार नहीं था..

एक कविता थी...
जो कोरे पन्ने पे पानी से लिखी थी...
एक कविता थी...
जो तेरे दिल पे अपने आंसू से लिखी थी ..

हाँ वो एक कविता ...
वो आज भी है..
एक कविता है..
जो मेरे सबसे पास है..!!!


April 2009

2 comments:

Unknown said...

nice poem.

last four line really touch my heart

Shaurya said...

@SMS
Thanks Friend