समुद्र के नज़दीक वाले,
नदी के पुल पर,
हमेशा यही सोचता हूँ,
क्या होता होगा,
जब बहती हुई नदी,
मिलती होगी, समुद्र में,
अचानक से थम जाती होगी,
समुद्र के उथल-पुथल वाले पानी में,
या लोग कहते हैं,
एक लकीर सी पड़ जाती है,
निशान बन जाते हैं,
नदी के बहाव में.
बताना शायद मुश्किल होता होगा,
नदी कहाँ ख़त्म हुई,
और समुद्र की शुरुआत कहाँ हुई.
सोचता हूँ,
मिलूंगा तुझसे तो क्या होगा,
थम जाऊंगा,
या निशान पड़ेगा मुझ पर.
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शौर्य जीत सिंह
पुरी से कोणार्क के बीच- २७/०१/२०१२
जमशेदपुर - ३०/०१/२०१२
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