काव्य-कुसुम
अम्बर भर काजल से बेहतर, मुठ्ठी भर सिन्दूर बनो.
Saturday, July 16, 2011
जब बिजली गुल हुई
बीती रात,
जब बिजली गुल हुई,
तो एहसास हुआ,
यह चाँद,
बादलों के बीच,
कितना खूबसूरत दिखता है,
बीती रात,
जब बिजली गुल हुई..!!
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शौर्य जीत सिंह
१६ जुलाई २०११
जमशेदपुर
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