पुराने कुछ सफहों पर तुम्हारा नाम,
कोडवर्ड में लिखा है,
वो किताबें किसी दराज़ में
सबसे नीचे दबी रखी हैं,
जब खोलता हूँ इन दराजों को,
ये मुझसे बातें भी करती हैं,
और कई दिनों बाद मिलूँ,
तो शिकायतें भी करती हैं,
अक्सर सींचता हूँ इनको
अपने आँसू से,
जब इनपर फूल लगेगा,
तो भेजूंगा तुमको।
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शौर्य जीत सिंह
१६/०५/२०१३
आजमगढ़
१६/०५/२०१३
आजमगढ़