अभी कुछ आस बाकी है,
अभी कुछ साँस बाकी है,
बुझूँ तो भस्म हो जाऊँ ,
अभी कुछ आग बाकी है |
अभी गलियों का सूनापन,
नहीं पसरा मेरे घर तक,
कहाँ से अलविदा कह दूँ,
वो कुछ जज़्बात बाकी है |
सभी दौड़ें नही हारा,
भले पीछे रहा हूँ मैं,
नही मंज़िल मिली तो क्या,
अभी कुछ राह बाकी है |
ख़तम सब कुछ हुआ,
या रह गया इंसान कुछ मुझमें,
स्वयं के ख़त्म होने की,
अभी शुरुआत बाकी है |
२६ अक्टूबर 2013
गाज़ियाबाद