Monday, April 11, 2011

पहचान

मेरी गर्ल-फ्रेंड
कविता है,
नाम नहीं,
पहचान बता रहा हूँ.

यूँ तो सब कुछ
आँखों से कहती है,
मैं बस लफ़्ज़ों में सजा रहा हूँ,
मेरी गर्ल-फ्रेंड कविता है,
नाम नहीं,पहचान बता रहा हूँ.

कोरे पन्ने पर
स्याही सी सजती है
मैं बस सबको सुना रहा हूँ,
मेरी गर्ल-फ्रेंड कविता है,
नाम नहीं,पहचान बता रहा हूँ.

महीनों तक नहीं आती,
कभी जब रूठ जाती है,
तुम्हे नग्में सी लगती है,
मैं बस उसको मना रहा हूँ,
मेरी गर्ल-फ्रेंड कविता है,
नाम नहीं,पहचान बता रहा हूँ.

-- शौर्य जीत सिंह
१०/४/२०११