उम्र के किसी
मोड़ पर,
मुलाकात होगी,
सुनहरी धूप होगी,
सुकून भरी एक रात
होगी,
कहीं दूर समंदर
पे,
जहाँ मिल जाती है
जमीं आसमाँ से,
उसपे पहुँच कर
सुस्ताने की बात होगी,
उम्र के किसी
मोड़ पर,
मुलाकात होगी,
हवा पे बैठ कर,
बादल से पानी को
निचोडूंगा,
बिना कुछ भी कहे,
सब जान जाएँ,
चाहता क्या हूँ,
बहुत दूर तक
खामोशी होगी,
बिना लफ़्ज़ों के
बात होगी,
उम्र के किसी
मोड़ पर,
मुलाकात होगी,
हर तरफ धुंध होगी,
भीनी भीनी बरसात
होगी,
टपकती ओस से भीगी,
छत होगी, घर की हर दीवार होगी,
ना भागमभाग होगी,
दौड़ कर आगे निकलने की,
वहीँ से एक नयी
शुरुआत होगी,
हाँ, उम्र के उसी मोड़ पर,
तुझसे मुलाक़ात
होगी.
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शौर्य जीत सिंह
२९ अगस्त,
२०१२
जमशेदपुर