ख़ामोश रह कर भी बहुत कुछ कह जाने का अंदाज़ मेरा ,
और तुम्हारा सब कुछ बिना पलकें झपकाए पढ़ लेना,
ये ख़ामोशी हम दोनों के सिवाय और कोई समझता भी तो नहीं।
-
शौर्य जीत सिंह
२७ सितम्बर २०१९, मुंबई
और तुम्हारा सब कुछ बिना पलकें झपकाए पढ़ लेना,
ये ख़ामोशी हम दोनों के सिवाय और कोई समझता भी तो नहीं।
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शौर्य जीत सिंह
२७ सितम्बर २०१९, मुंबई