Sunday, October 04, 2015

तू कुछ कुछ मेरे जैसी है

तू कुछ कुछ मेरे जैसी है

मेरे जैसी इन आँखों में
मेरे जैसे कुछ सपने हो
औने पौने जिन सपनो को
जी भर कर मैंने जिया नहीं
बस ललचाया जिनकी खातिर
तेरी आँखों से देखूँगा
मूरत मैंने जो गढ़ी नहीं
तेरी उंगली से सींचूंगा

पूरा मुझमें कुछ नहीं अगर
तू पूरक मेरे जीवन की
आँसू मेरे,मुस्कान मेरी
सम्मान मेरा , अभिमान मेरा

तू कुछ कुछ मेरे जैसी है

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२३/०९/२०१५, वाराणसी