तुझे दामन छुड़ा कर जाने भी देते,
बर्दाश्त के दायरे,
नापे हैं मैंने,
यादों के समंदर की गहराई,
थोड़ी कम है,
मेरे दर्द की हद से,
बात बस इतनी है,
की लोग मेरी उदासी की वजह पूछ लेते हैं।
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शौर्य जीत सिंह
06 नवम्बर, 2012 - जमशेदपुर