Friday, August 05, 2022

तुम्हारे साथ

 नदी हो तुम,

और मैं तुम पर गिरा एक सूखा पत्ता,


बस इसी खींच-तान में हूँ

कि किनारे पे बैठ,

निहारता रहूँ तुमको 

या तुम्हारे साथ बह कर देखूं ।  


- शौर्य जीत सिंह

05 अगस्त  2022, मुम्बई