कभी तुम्हारी आँखों की
चमक उधार ली है..
तो कभी होठों की हंसी...
कभी तुम्हारे जिस्म की...
रात भर की बासी खुशबू...
और कभी
अलसाई अंगडाई का..
सोंधा एहसास...
मेरे पास ताजगी जैसा कुछ भी नहीं था..
जो भी खुद पे सजाया...
सब तुमसे पाया...
शायद इसीलिए..
हर इंटरव्यू से पहले...
तुम्हारा माथा चूमा है मैंने....!!!!
April 2009
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