काव्य-कुसुम
अम्बर भर काजल से बेहतर, मुठ्ठी भर सिन्दूर बनो.
Sunday, November 01, 2009
जब भी तकिये तले ,तुझे सिरहाने रख कर सोया
इतनी गहरी नींद आई कि कोई ख्वाब न आया
.
ना जाने आज कल तेरे ख्वाब बहुत आते हैं
march 2009
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