Thursday, February 23, 2012

त्रिवेणी


खिड़कियाँ खुली रह गयीं बीती रात घर की,
हवा ठंडा कर गयी मुझको तमाम कोशिशों के बाद भी,

अक्ल की कई तहों के नीचे था - मन ठंडा ना हुआ.

--
शौर्य जीत सिंह
२२/०२/२०१२
जमशेदपुर

No comments: