Sunday, February 12, 2012

शकलों के आईने

शकलें आईने में दिखतीं,
तो लोगों में शर्म होती,
लिहाज़ होता,
ग़ैरत होती,

शकलें तो आँखों में दिखती हैं,
इसीलिए,
स्नेह से भरी चार आँखें,
मिलते ही,
झुक जाती हैं.

--
शौर्य जीत सिंह
गंगटोक, ०७/०२/२०१२

No comments: