ये दुनिया बहुत छोटी है,
लोग चौबीस घंटों में अमरीका पहुँच जाया करते हैं,
तुमसे तो फिर,
टूटे ही सही,
दिल के कुछ तार भी बंधे हैं,
कहीं तो मिलोगे,
कोई पहाड़ी,
कोई झरना,
कोई मिट्टी का टीला,
सूना सा होगा,
कहीं तो होगा,
जहाँ सफ़र ख़तम होगा मेरा.
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शौर्य जीत सिंह
०५/०२/२०१२
गंगटोक
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