सोचता हूँ तुझे याद करूंगा,
तो क्या क्या याद आएगा |
तो क्या क्या याद आएगा |
रात को जगना सोचूंगा या,
चलना संग याद आएगा,
याद आएगा सपने बुनना,
या झूठे वादे मेरे,
तेरी भीगी पलकें सोचूँ,
या हँसना याद आएगा |
चलना संग याद आएगा,
याद आएगा सपने बुनना,
या झूठे वादे मेरे,
तेरी भीगी पलकें सोचूँ,
या हँसना याद आएगा |
सोचता हूँ तुझे याद करूंगा,
तो क्या क्या याद आएगा |
तो क्या क्या याद आएगा |
साँसों की आवाज़ सुनूँ फिर,
या अपने गुस्सम-गुस्से,
बिना बात के लम्बे झगड़े,
चुप होना याद आएगा,
मेरी कविता के मतलब को,
नहीं समझ पाना तेरा,
मेरा फिर खुश हो कर तुझको,
समझाना याद आएगा |
या अपने गुस्सम-गुस्से,
बिना बात के लम्बे झगड़े,
चुप होना याद आएगा,
मेरी कविता के मतलब को,
नहीं समझ पाना तेरा,
मेरा फिर खुश हो कर तुझको,
समझाना याद आएगा |
सोचता हूँ तुझे याद करूंगा,
तो क्या क्या याद आएगा |
तो क्या क्या याद आएगा |
क्या सोचूँ क्या मिस कर दूँ इनमे,
लिस्ट बहुत ये लम्बी है,
भूला कुछ तो झगड़ोगे फिर,
हाँ ये भी याद आएगा |
भूला कुछ तो झगड़ोगे फिर,
हाँ ये भी याद आएगा |
तेरी यादों से रौशन हूँ,
और नहीं कुछ पास मेरे,
और ना हो कुछ हासिल मुझको,
बस ये संग रह जाएगा |
और नहीं कुछ पास मेरे,
और ना हो कुछ हासिल मुझको,
बस ये संग रह जाएगा |
सोचता हूँ तुझे याद करूंगा,
तो क्या क्या याद आएगा |
तो क्या क्या याद आएगा |
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शौर्य जीत सिंह,
०४/०५/२०१२
दिल्ली से जयपुर तक
०४/०५/२०१२
दिल्ली से जयपुर तक
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