Sunday, January 23, 2011

आशा

एक और सुबह,
एक और चाय,
एक और सपना
एक और कोशिश,
एक और नतीजा
एक और हार
एक और शाम
एक और आंसू
एक और हताशा
एक और निराशा
एक और रात
एक और प्रण
कल फिर एक सुबह ..
फिर एक सपना..
शायद कल जश्न हो..
एक और आशा..

शौर्य जीत सिंह
२४-०१-२०११

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