Saturday, March 26, 2016

बबलू बन्दर - 2

बबलू बन्दर जब भी आते,
धमा चौकड़ी खूब मचाते,
दादा जी को खूब छकाते ,
पर दादी को बहुत लुभाते,

दादा लाठी ले कर आते,
दादा जी जब उन्हें डराते,
दादी हलवा पूड़ी लाती,
फिर कल आना ये बतलाती,

अपने बबलू होशियार हैं,
पढ़े लिखे और समझदार हैं,
छत पर बस तब ही हैं आते,
दादा जी जब ऑफिस जाते।

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शौर्य जीत सिंह
१४-०३-२०१६, कोलकाता



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