Monday, March 11, 2013

चुटकी भर ज़िन्दगी

मुट्ठी भर धूप आती है,
मेरे कमरे में,
शाम ढलने पे रोज़,
रातरानी के फूलों की,
भीनी भीनी सी खुशबू आती है।

बारिश की बौछारें नहीं आती,
खिड़की की जगत से छिटक कर,
हलकी फुहारें आती हैं।

दूर किसी कोयल की कूक,
और गर्म मौसम में मीठी पुरवाई भी,
खिड़की पर लगे जाल से छन के आती है,

जहाँ तेरी तस्वीर रखी है,
हाँ उसी खिड़की से हो कर,
मेरे कमरे में,
चुटकी भर ज़िन्दगी आती है।

--
शौर्य जीत सिंह 
12/03/2013 - आजमगढ़ 

3 comments:

kavya-janak said...

wah ustaad ekdam dhanshu wala likhe ho

kavya-janak said...

wah ustaad ekdam dhanshu wala likhe ho...

Shaurya said...

thank you sir