अम्बर भर काजल से बेहतर, मुठ्ठी भर सिन्दूर बनो.
एक पिता ने
अपनी आत्मकथा
कुछ ऐसे लिखी
कोरे ही छोड़ दिए पन्ने
अपनी डायरी के
कि वो स्याही
रंग भर सके
उसके बच्चों की
कहानी में।
शौर्य जीत सिंह
०७ नवंबर २०२२, मुंबई
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