Tuesday, October 16, 2012

त्रिवेणी

बारिश खिडकियों के रस्ते यूँ  आ गयी घर में,
जैसे दबे पाँव तुम आ गए हो मेरे लिहाफ में,

बारिश ने आज ठंडा नहीं किया, कुछ हरारत दे गयी।

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शौर्य जीत सिंह
11 अक्टूबर, 2011 - जमशेदपुर 

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