बारिश खिडकियों के रस्ते यूँ आ गयी घर में,
जैसे दबे पाँव तुम आ गए हो मेरे लिहाफ में,
बारिश ने आज ठंडा नहीं किया, कुछ हरारत दे गयी।
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शौर्य जीत सिंह
11 अक्टूबर, 2011 - जमशेदपुर
जैसे दबे पाँव तुम आ गए हो मेरे लिहाफ में,
बारिश ने आज ठंडा नहीं किया, कुछ हरारत दे गयी।
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शौर्य जीत सिंह
11 अक्टूबर, 2011 - जमशेदपुर
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