Monday, October 03, 2011

हर बार

मैं,
उम्र के हर मुकाम पर,
थोडा थोडा,
नाकामयाब होता रहा,
कभी रोया,
कभी खीझा,
हर बार,
थोडा थोडा,
निराश होता रहा,
पर भूल गया शायद,
इस सब के बीच,
की हर बार,
थोडा थोडा,
परिपक्व होता रहा,
हर बार,
थोडा थोडा,
निखरता रहा सीखता रहा,
हर बार,
थोडा थोडा ही सही,
पर ऊपर उठता रहा ||

शौर्य जीत सिंह
०२-१०-२०११
जमशेदपुर

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