काव्य-कुसुम
अम्बर भर काजल से बेहतर, मुठ्ठी भर सिन्दूर बनो.
Friday, January 13, 2012
कौन कहता है दर्द की इंतेहा होती है !!
यूँ तो तेरी हर अगली मुलाक़ात से पहले अनगिनत पल होते हैं !!
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शौर्य जीत सिंह
२६/११/२०११
जमशेदपुर
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