काव्य-कुसुम
अम्बर भर काजल से बेहतर, मुठ्ठी भर सिन्दूर बनो.
Friday, January 13, 2012
जो बातें कभी कह ना पाऊँ,
उन्हें खुद से समझ लेना तुम,
ज़रा कच्चा हूँ बोलने में - इसीलिए लिख लेता हूँ!!
शौर्य जीत सिंह
०४/११/२०११
जमशेदपुर
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