Monday, November 07, 2022

आत्मकथा

एक पिता ने

अपनी आत्मकथा

कुछ ऐसे लिखी


कोरे ही छोड़ दिए पन्ने

अपनी डायरी के

कि वो स्याही

रंग भर सके

उसके बच्चों की 

कहानी में।


शौर्य जीत सिंह

०७ नवंबर २०२२, मुंबई


Friday, August 05, 2022

तुम्हारे साथ

 नदी हो तुम,

और मैं तुम पर गिरा एक सूखा पत्ता,


बस इसी खींच-तान में हूँ

कि किनारे पे बैठ,

निहारता रहूँ तुमको 

या तुम्हारे साथ बह कर देखूं ।  


- शौर्य जीत सिंह

05 अगस्त  2022, मुम्बई